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THAKUR RANMAT SINGH REWA Short Story

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 #विन्ध्य में जंगे आजादी के महानायक अमर शहीद ठाकुर रणमत सिंह:- प्रस्तुत है विन्ध्य में जंग ए आजादी के इतिहास की चन्द लाइने ! आज का रीवा-शहडोल संयुक्त संभाग का भूभाग (डिंडोरी तहसील को छोड कर) रहा है बघेल युगीन, विन्ध्य-क्षेत्र। इसकी सब से बड़ी रियासत रही है रीवा और संयुक्त रही हैं कोठी, सोहाबल, नागौद, मैहर, बरौंधा के साथ ही जागीरें जसो, रयगाँव व अन्य चार छोटी जागीरें। रीमाँ नाम के बघेल राज्य की राजधानी स्थापित हुई रीमाँ। प्रायः तीन सदियो के अंतराल में चलता रीमाँ नाम, अंततः बदल कर हो गया रीवा। १९वी सदी आधी बीत चुकी थी,  अचानक रीवा में एक घटना घटी। वहाँ पदस्थ पोलेटिकल एजेन्ट, ओसबार्न (असबरन) के आदेश से एक तैलंग ब्राह्मण को जासूसी का अभियोग लगा कर जेल में बंद कर दिया गया। रीवा के आजादी के दीवानों को शासन के खिलाफ विरोध करने का एक अच्छा धार्मिक बहाना मिल गया। वे एक जुट होकर ‘जय ब्रह्मण देव’ के रक्षा का नारा लगाते सड़क पर निकले, भारी जन समूह जुटता गया और जाकर ‘पोलेटिकल एजेन्ट’ के बँगले को घेर लिया। ‘पोलेटिकल एजेन्ट’ भाग गया। बाद में उसने ठाकुर रणमत सिंह को इस काण्ड का अगुआ निरूपित करते, उनके